टोंकखुर्द विजेन्द्रसिंह ठाकुर
सोनकच्छ से दाखिल किये गये 19 नामांकनों में से दोनों ही दलों के कई उम्मीदवारों द्वारा फार्म वापसी के बाद अब मुख्य मुकाबला भाजपा के वर्तमान विधायक राजेन्द्र वर्मा और कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जनसिंह वर्मा के बीच होगा। यहाँ राजेंद्र वर्मा जहाँ अपनी जीत 20 हजार से अधिक मतों से होने की बात कर रहे है,वहीं सज्जनसिंह वर्मा भी अपनी जीत के प्रति आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे है और तो और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के प्रति भी आश्वस्त नजर आ रहे है । फिलहाल टोंकखुर्द क्षेत्र में दोनो ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में आपसी मत भेद चल रहे है जो चर्चा का विषय बना हुआ है कई कार्यकर्ता तो क्षेत्र छोड़ कर दिखना ही बंद होगये। दोनो ही पार्टी द्वारा स्थानीय कार्यालय खोले गए लेकिन वँहा स्थानीय कार्यकर्ता की उपस्थिति कम और बाहरी ज्यादा दिखाई दे रहे है। कुछ कार्यकर्ता तो सिर्फ चुनाव में ही सक्रिय हो जाते है क्योंकि उनको पांच साल में ही मौका मिलता है लेकिन इस बार प्रत्याशीयो ने भी उनसे दूरी बना रखी है। वही भाजपा वाले कांग्रेस में ओर कोंग्रेस वाले भाजपा में आना जाना आम बात सी हो गई। दोनो ही दलों द्वारा मीडिया को कोई जानकारी नही दी जा रही है फिलहाल मीडिया से दूरी बनारखी है क्योंकि कुछ कार्यकर्ता तो पार्टी में सोसल मीडिया पर प्रचार कर अपने अपने नेता को जीता रहे है।
सोनकच्छ से दाखिल किये गये 19 नामांकनों में से दोनों ही दलों के कई उम्मीदवारों द्वारा फार्म वापसी के बाद अब मुख्य मुकाबला भाजपा के वर्तमान विधायक राजेन्द्र वर्मा और कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जनसिंह वर्मा के बीच होगा। यहाँ राजेंद्र वर्मा जहाँ अपनी जीत 20 हजार से अधिक मतों से होने की बात कर रहे है,वहीं सज्जनसिंह वर्मा भी अपनी जीत के प्रति आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे है और तो और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के प्रति भी आश्वस्त नजर आ रहे है । फिलहाल टोंकखुर्द क्षेत्र में दोनो ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में आपसी मत भेद चल रहे है जो चर्चा का विषय बना हुआ है कई कार्यकर्ता तो क्षेत्र छोड़ कर दिखना ही बंद होगये। दोनो ही पार्टी द्वारा स्थानीय कार्यालय खोले गए लेकिन वँहा स्थानीय कार्यकर्ता की उपस्थिति कम और बाहरी ज्यादा दिखाई दे रहे है। कुछ कार्यकर्ता तो सिर्फ चुनाव में ही सक्रिय हो जाते है क्योंकि उनको पांच साल में ही मौका मिलता है लेकिन इस बार प्रत्याशीयो ने भी उनसे दूरी बना रखी है। वही भाजपा वाले कांग्रेस में ओर कोंग्रेस वाले भाजपा में आना जाना आम बात सी हो गई। दोनो ही दलों द्वारा मीडिया को कोई जानकारी नही दी जा रही है फिलहाल मीडिया से दूरी बनारखी है क्योंकि कुछ कार्यकर्ता तो पार्टी में सोसल मीडिया पर प्रचार कर अपने अपने नेता को जीता रहे है।
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