रायपूरिया मर्डर में 8 आरोपी झारखण्ड के तो दो आरोपी बीहारी।

     पेटलावद से राजेश राठौड़। ......  अधिकांश शराब दुकानों पर बाहरी राज्य के गुण्डे रहकर काटते है अपनी फरारीमात्र तीन हजार रूपयें प्रतिमाह मिलती है वेतन।
हाल हीं मै हुए रायपूरिया शराब दुकान पर मर्डर में जिन 10 आरोपियों को पुलिस ने गिरप्तार किया है उनमें से 8 आरोपी झारखण्ड के है तो दो आरोपी बीहारी है। यह सभी आरोपी बाहरी राज्य से ताल्लुकात रखते है। यदि इनका पुराना रिकार्ड देखा जाए तो यह उनके क्षेत्र के सबसे बडे गुण्डे है। एैसे लोग यहां फरारी काटते है तो कई अपनी जिला बदर के दिन यहा पुरे करते है। यहां इनको भोजन पानी के साथ तीन हजार रूपयें महिना भी मिलता है। और यह यहां रहकर अवैध शराब कारोबार में खुलेआम दादागिरी कर इधर उधर गांव में होटलो में देर रात तक शराब सप्लाय करते है। यह लोग किसी भी अपराधिक घटना को अंजाम देने में पिछे नहीं हटते है। इसलिए लोग इनसे ज्यादा भयभित रहते है। यदि कोई इनकी शिकायत करता भी है या कोई पत्रकार, जनप्रतिनिधि इन मुद्दो को उठाता है तो उसके साथ भी तत्काल यह मारपीट करने पर उतारू हो जाते है। क्योंकि छोटे केस से इनको तनिक भी डर नहीं लगता है। और आज रायपूरिया मर्डर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि इन लोगो ने उसका मर्डर हीं नहीं किया बल्की उसकी लाश  को अन्यंत्र जगह फेंककर साक्ष्य छुपाने का शयंत्र भी रचा। रायपूरिया हीं नहीं जिले की अधिकांश दुकानों में 20 से 25 लोग हर समय आपको मोजुद मिलेगें। जिनका एक मात्र काम होता है कि वह क्षेत्र में बहुत तेजी से अवैध शराब सप्लाय करें। और जो बिच में आये उनको निपटाते चलें।
मात्र तीन हजार रूपयें प्रतिमाह मिलती है वेतन।
जिले के हर शराब दुकान पर 20 से 25 लोग जो सभी या तो झारखण्ड के है या युपी, बीहार के है। एैसा नहीं है कि यह लोग कम वेतन में काम करते है, इसके पिछे इनका बहुत बड़ा फायदा होता है कि इनको यहां एक तो सर छुपाने की जगह मिल जाती है तो दुसरी खाना पिना ऐश करने के साथ तीन हजार रूपयें प्रतिमाह भी मिल जाते है। यह सभी बाहरी राज्य के लोग हकिकत में अपने-अपने इलाके के गुण्डे होते है। अधिकांश लोग तो एैसे अपराधिक मामलो में लिप्त होते है जो इन दुकानों पर आकर या तो अपनी फरारी काट रहे होते है या फिर जिला बदर कार्यवाहीं के दिन पुरे कर रहे होते है। एैसे में शराब ठेकेदार का भी फायदा होता है कि कम रेट में गांवो में अवैध शराब सप्लाय करने के लिए लोग भी मिल जाते है और इन्हें  भी सर छुपाने की जगह।
पुलिस के पास नहीं रहता कोई रिकार्ड।
अवैध शराब के कारोबार पर काम रहे इन गुण्डो का न तो पुलिस के पास इनका कोई रिकार्ड रहता है औश्र ना हीं आबकारी विभाग के पास इनकी कोई जानकारी होती है। ठेकेदार इनकी किसी भी प्रकार की जानकारी पुलिस को नहीं देता है कि यह लोग कहां से आये है, इनका पिछला रिकार्ड क्या है, और यह यहां कितने दिन रहेंगे। एैसे में यह गुण्डे यदि छोटी मोटी चोरी भी करते हो या किसी बडे अपराधिक मामले में सलिप्त हो तो पुलिस को भी इनका पता नहीं पाता है। क्यों कि इन लोगो के बारे में न तो पब्लिक को पता होता है और ना हीं किसी खबरी कों। पुलिस को यहां पुरे जिले के दुकानों पर काम कर रहे इन सभी आवारा लोगो की पुरी लिस्त लेना चाहिए और इनकी पुरी जानकारी रखना चाहिए कि कौन केसी प्रवृत्ती का व्यक्ति है।
बोलेरो मालिक के उपर नहीं हुई एफआईआर।
रायपूरिया हत्या मामले में अभी तक यहां जिस गाड़ी को लाश ठिकाने लगाने में उपयोग लिया गया था, उस गाड़ी मालिक पर अभी तक किसी भी प्रकार का प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। जबकि इतने बडे गंभीर मामलो में हत्या में लायें जाने वाले वाहन मालिक पर प्रकरण दर्ज होता है। अब यहां पुलिस वाहन मालिक पर प्रकरण दर्ज नहीं करने का कारण क्या है, यह समझ से परे है।
जिले में पुलिस, नेता से लेकर आला अधिकारियों तक रहती है, सेटींग।
इन अवैध शराब कारोबारियों की उपर लेवल तक सेटींग रहती है, जिनमें पुलिस, नेता और आला अधिकारी सम्मिलित रहते है। यह कारोबारी लोग पहले से हीं अधिकारियों से महिना बंदी बांध लेते है। ताकि इन्हें क्षेत्र में अवैध काम करने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पडे। इनकी सेंटींग इतनी मजबुत रहती है कि यदि कोई बाहर से टीम आयें या बडे अधिकारी का आना हो तो स्थानिय अधिकारी पहले से इनको सुचना देकर सचेत कर देते है। इन सेंटींग की वजह से यह अवैध शराब कारोबारी आम आदमी की इज्जत करना हीं भुल जाते है। यह लोग फिर हर किसी से दादागिरी से पेश आते है। और छोटी-छोटी बातो में विवाद करने पर आतुर हो जाते है, क्योंकि इन्हें पता रहता है कि हमारा कुछ भी बिगडने वाला नहीं है। यह तो रायपूरिया में बात हत्या तक पहुंच गई, नहीं तो मारपीट वाले प्रकरण तो किसी थाने में दर्ज हीं नहीं होते है।
अवैध शराब सप्लाय करते हुए

अवैध शराब सप्लाय करते हुए