अटल गोस्वामी। .... गरोठ। नो दिवसीय कार्यक्रम में भागवत कथा के तीसरे दिन में कथा पूर्व गुरुवंदना कर कथा प्रारम्भ की साथ ही सभी को 24 जनवरी को मंदिर जीर्णोद्वार पर विशाल भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर धर्म लाभ लेवे। इस अवसर पर विशेष व्याख्यान देते हुए पूज्य श्री श्री श्री 1008 शंकराचार्य स्वामी दिव्यानन्द जी महाराज ने कहा कि
सभी चल अचल जीवो का व्यवहार अलग अलग क्यो हैं?
इसका मूल कारण अपने उपादान से अलग होना है।
सभी जीव पंचतत्व से निर्मित है किन्तु सभी के द्वारा इन पंचतत्वों के मूल गुणों को भूल जाने के कारण ये समस्याए उत्पन्न हुई हैं।
आपने कहा कि परमात्मा के स्मरण करने से चाण्डाल भी पवित्र हो जाता है और यदि परमेश्वर के दिव्य दर्शन हो जाए तो मोक्ष तो मिलेगा ही।श्री सत्यनारायण मन्दिर जीर्णोद्धार के सुअवसर पर आयोजित श्री मद भागवत गीता कथा के तीसरे दिन भानपुरा पीठ के शंकराचार्य युवाचार्य सन्त श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि निश्चल प्रेम से क्रोधित जीव को वश में किया जा सकता हैं।
दक्ष प्रजापति और शिव विवाद प्रसंग में आपने बताया कि अतिक्रोधित होते हुए भी निःस्वार्थ पूजन स्नेह और प्रेम के कारण भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति को पुनः जीवनदान दे दिया था।आपने बताया कि पंचतत्वों में से
पृथ्वी का गुण सहनशीलता व क्षमा हैं।
जल का गुण रस एवं प्यास बुझाने का हैं।
अग्नि का गुण पवित्रता हैं।
वायु का गुण गति हैं।
आकाश का गुण सर्वव्यापी हैं।
ये समस्त गुण हममें हमने अपनी आवश्यकतानुसार ग्रहण कर लिए हैं इस कारण हमारा जीवन स्थिर हो गया हैं।
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