संवाददाता-विवेक चौबे
कांडी(गढ़वा) : सोणभद्र आदर्श इंटर कॉलेज के खेल के मैदान में महागठबंधन का जनसभा होने वाला था।स्थानीय पत्रकार बंधु समाचार संकलन करने के लिए पहुंचे थे।पत्रकारों ने देखा कि जो पत्रकार दीर्घा बना था, उसमे कार्यकता हीं भर गए थे।हद तो तब हो गई,जब पत्रकार फोटो लेने जाते तो वहां उपस्थित कार्यकर्ता 'पत्रकार' की ही कुर्सी ले लेते।ऐसी स्थिति में या तो पत्रकार चिलचिलाती धूप में खड़े होकर न्यूज कवर करते या फिर गठबंधन के कार्यकर्ताओं से झगड़ा करते।इस प्रकार कई कमियों को देखते हूए पत्रकारो ने जनसभा का विरोध किया।बताते चलें कि महागठबंधन में प्रारम्भ से ही इस प्रकार की हरकत देखने को मिल रही है।बाद में क्या होगा संदेहात्मक ही है।प्रायः ऐसा माना जाता है कि पत्रकार संविधान के अनुसार चौंथा स्तंभ है।जब चौंथे स्तंभ का मान-सम्मान नही तो फिर आखिरकार पत्रकार समाचार संकलन कैसे करेंगे।बड़ी अफसोस के साथ जाहिर है कि महागठबंधन,कार्यकर्ता व व्यवस्थापक में इससे बड़ी कमी कुछ भी नहीं हो सकती।पत्रकार को सम्मान चाहिए,क्योंकि पत्रकार समाज का दर्पण है।जो राजनीतिक पार्टी पत्रकारों के लिए कुर्सी की भी व्यवस्था उपलब्ध नहीं कर सकती,वह पार्टी देश क्या चलाएगी।यह एक हास्यपद ही है महागठबंधन की।विरोध करने वालो में पत्रकार-रामरंजन सिन्हा,उपेन्द्र दूबे,विजय पाण्डेय , अमरेन्द्र पंडित,अनुप सिंह,अरूण चौबे,दुर्गेश सिंह,ब्रजेश पाण्डेय,वरुण शर्मा शामिल थे।
कांडी(गढ़वा) : सोणभद्र आदर्श इंटर कॉलेज के खेल के मैदान में महागठबंधन का जनसभा होने वाला था।स्थानीय पत्रकार बंधु समाचार संकलन करने के लिए पहुंचे थे।पत्रकारों ने देखा कि जो पत्रकार दीर्घा बना था, उसमे कार्यकता हीं भर गए थे।हद तो तब हो गई,जब पत्रकार फोटो लेने जाते तो वहां उपस्थित कार्यकर्ता 'पत्रकार' की ही कुर्सी ले लेते।ऐसी स्थिति में या तो पत्रकार चिलचिलाती धूप में खड़े होकर न्यूज कवर करते या फिर गठबंधन के कार्यकर्ताओं से झगड़ा करते।इस प्रकार कई कमियों को देखते हूए पत्रकारो ने जनसभा का विरोध किया।बताते चलें कि महागठबंधन में प्रारम्भ से ही इस प्रकार की हरकत देखने को मिल रही है।बाद में क्या होगा संदेहात्मक ही है।प्रायः ऐसा माना जाता है कि पत्रकार संविधान के अनुसार चौंथा स्तंभ है।जब चौंथे स्तंभ का मान-सम्मान नही तो फिर आखिरकार पत्रकार समाचार संकलन कैसे करेंगे।बड़ी अफसोस के साथ जाहिर है कि महागठबंधन,कार्यकर्ता व व्यवस्थापक में इससे बड़ी कमी कुछ भी नहीं हो सकती।पत्रकार को सम्मान चाहिए,क्योंकि पत्रकार समाज का दर्पण है।जो राजनीतिक पार्टी पत्रकारों के लिए कुर्सी की भी व्यवस्था उपलब्ध नहीं कर सकती,वह पार्टी देश क्या चलाएगी।यह एक हास्यपद ही है महागठबंधन की।विरोध करने वालो में पत्रकार-रामरंजन सिन्हा,उपेन्द्र दूबे,विजय पाण्डेय , अमरेन्द्र पंडित,अनुप सिंह,अरूण चौबे,दुर्गेश सिंह,ब्रजेश पाण्डेय,वरुण शर्मा शामिल थे।
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