धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर ने मरीज के जिन्दगी के साथ किया खेलवाड़

संवाददाता-विवेक चौबे                                                 

बवासीर का इलाज कराने गए मरीज का निकाल दिया बच्चेदानी व अपेंडिक्स



कांडी(गढ़वा): डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। लेकिन डॉक्टर ही जब मरीज़ों की जान के साथ खिलवाड़ करने लगे तो मरीज स्वस्थ होने के बजाए सीधा स्वर्ग सिधार जाता है। जी हां! एक ऐसा ही कारनामा उजागर हुआ है। डॉक्टर की लापरवाही के कारण एक मरीज की जान जाते-जाते बच गई। उक्त मामला हरिहरपुर ओपी क्षेत्र के डूमरसोता गांव निवासी 35 वर्षीया मरीज लवकुश देवी से जुड़ा हुआ है। मरीज के अनुसार वह एक माह पहले बावासीर की इलाज के लिए गढ़वा के प्रसिद्ध सर्जन डॉक्टर नाथुन साह के निजी क्लिनिक नवनीत हेल्थकेयर सेंटर में गई थी। जहां डॉक्टर ने उसे अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट के बाद डॉक्टर ने बताया कि तुम्हारे बच्चेदानी में सूजन व अपेंडिक्स पक गया है, जो कभी भी फट सकता है। डॉक्टर ने बवासीर से पहले उक्त दोनों रोग का ऑपरेशन कराने की सलाह दिया। मरीज के अनुसार एक रोग का ईलाज का खर्च आठ हजार रुपये बताया। जिसके बाद मरीज के परिजनों ने पांच हजार रुपये जमा कराए। इसके बाद लवकुश की ऑपरेशन रविवार की रात कर दी गई। ऑपरेशन के अगले दिन मरीज की हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद डॉक्टर नाथुन के सलाह पर उसे बेहतर ईलाज के लिए वाराणसी स्थित मेडविन हॉस्पिटल एन्ड रिसर्च सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। वहाँ के डॉक्टरों ने जब ईलाज से पहले जांच कराई तो मरीज के लिए बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया। वहाँ डॉक्टर ने बताया कि  लवकुश की पथरी व अपेंडिक्स के ऑपरेशन के दौरान पैखाना की नली को ही बंद कर दिया गया है। इतना सुनते ही मरीज व उसके परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। लवकुश की बेहतर ईलाज के लिए वाराणसी के डॉक्टर ने करीब तीन लाख रुपये का खर्च बताया। इसके बाद लवकुश के पति नंदू पटवा ने कर्ज लेकर व गहने बेंचकर पत्नी का ईलाज शुरू कराया। इसके बाद उक्त मामले में गलत ऑपरेशन करने व ईलाज में पड़ रही खर्च में सहयोग की अपेक्षा लेकर जब नंदू डॉ. नाथुन के पास गए तो उन्होंने मामला टाल मटोल करते हुए नंदू से बाद में बात करने की बात कह कर मामला टाल दिया। फिलवक्त लवकुश का ईलाज वाराणसी से चल रहा है। भुक्तभोगी का कहना है मेरी आर्थिक स्थिति दयनीय है। गलत ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ही उचित ईलाज का खर्च वहन करें।

क्या बोले डॉक्टर
उक्त संबंध में डॉ. नाथुन साह ने बताया कि मेरे ऑपरेशन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। पैखाना की नली को सिल देने का आरोप गलत है। पेट के अंदर आंत में गड़बड़ी हो गई थी। उस मरीज के ईलाज में जितना खर्च आएगा, मैं वहन करूंगा। साथ ही मरीज को साथ में ईलाज के लिए वाराणसी ले जाऊंगा।

स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले के मरीजों से होता है खिलवाड़
सूबे के स्वास्थ्य सुविधा दुरुस्त करने की जिम्मेवारी वजीरे सेहत रामचंद्र चंद्रवंशी को है। लेकिन उनके गृह जिला गढ़वा के कई नामी गिरामी निजी क्लिनिक व नर्सिंग होम में कई बार मरीजों के साथ संगीन खिलवाड़ होते रहा है। जिसमें कई लोग जान से हांथ धो चुके है। लेकिन आज तक उक्त मामले में किसी डॉक्टर या निजी अस्पतालों पर समुचित करवाई नहीं हो सकी। कई बार मरीजों का ईलाज डाक्टरों के लिए व्यापार का नमूना बनकर सामने आते रहा है। साथ ही प्रशासन के नाक के नीचे खुलेआम इस तरह का कारोबार फलफूल रहा है

काम न आया आयुष्मान कार्ड
देश के प्रत्येक गरीबों का पांच लाख तक मुफ्त में ईलाज के लिए प्रधानमंत्री की ओर से जारी आयुष्मान भारत कार्ड भी भी नंदू की पत्नी की ईलाज में काम नहीं आया। नंदू के अनुसार पत्नी की ईलाज का खर्च कम पड़ने पर उसने डॉक्टर को आयुष्मान कार्ड दिखाकर ईलाज करने की अपील किया। इस पर डॉक्टर ने उक्त योजना का लाभ की सुविधा नहीं होने की बात कह कर मरीज से नगद पैसे लिए। इसके अलावा वाराणसी में भी नगद पैसे देकर ही ईलाज कराया जा रहा है।

उक्त संबंध में सीएस डॉ. एन. के. रजक को लगाया गया लेकिन उन्होने फोन रीसिव नही किया.

इधर कांग्रेसी नेता सह विश्रामपुर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी अजय कुमार दुबे ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को अपने काम से फुर्सत मिले तब न स्वास्थ्य विभाग  की समीक्षा करेंगें. स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला में डाक्टरों द्वारा लागातार गरीब के जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जो बहुत ही दु:खद है.

बवासीर का इलाज कराने गए मरीज का निकाल दिया बच्चेदानी व अपेंडिक्स