आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी मिर्ची बाबा ने सभी देशवासियों को नाग पंचमी के पावन पर्व की शुभकामनाएं दी है।




भोपाल नाग पंचमी के पावन पर्व पर भगवान भोलेनाथ एवं नाग देवता सभी के जीवन में सुख समृद्धि और सफलता बरसाए। बाबा महाकालेश्वर की कृपा से कोरोना महामारी से जल्द से जल्द पूरे विश्व को मुक्ति मिले  ऐसी प्रार्थना करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद जी महाराज धर्मगुरु मिर्ची बाबा ने कहा कि हिंदू धर्म में मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से अन्न धन के भंडार भरे रहते हैं। और परिवार में किसी को भी नागदंश  का भय नहीं रहता है। नाग पंचमी का त्यौहार नागो और सर्पों की पूजा का पर्व है। हिंदू धर्म ग्रंथों मे नाग को देवता माना गया है। इसके पीछे कई मान्यताएं हैं। जैसे कि शेषनाग के फन पर यह पृथ्वी टिकी है। भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैया पर सोते हैं। भोलेनाथ के गले में सर्पों का हार है और भगवान श्री कृष्ण के जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेव जी ने यमुना नदी पार की थी यही नहीं समुद्र मंथन के समय देवताओं की मदद भी बासुकी नाग ने ही की थी। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता का आभार व्यक्त किया जाता है। एक अन्य कारण यह भी है कि बारिश के मौसम में सांपों के बिलों में पानी ज्यादा भर जाने से वह बिल छोड़कर अन्य सुरक्षित स्थान की खोज में निकलते हैं उनकी रक्षा और सर्पदंश के भय से मुक्ति पाने के लिए भारतीय संस्कृति में नाग पंचमी के दिन नाग देवता के पूजन की परंपरा शुरू हुई।
           आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी महाराज धर्मगुरु मिर्ची बाबा ने बताया कि गरुड़ पुराण के अनुसार इस दिन प्रात नित्यक्रम से निवृत्त होकर, स्नान कर घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर और काजल से नाग देवता बनाए जाते हैं। मुख्य द्वार के दोनों ओर दूध, दूब, कुशा, चंदन ,अक्षत ,पुष्प आदि चढ़ाएं इसके बाद नाग देवता की कथा पढ़कर आरती करें। फिर मिठाई का भोग बनाकर भोग लगाया जाता है।ऐसी मान्यता है कि इस दिन नाग देवता को दूध से स्नान कराने से नाग देवता से किसी प्रकार का भय नहीं रहता है।