आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी महाराज मिर्ची बाबा अपने अनुयाई एवं सेवकों को सुबह 7:00 बजे फेसबुक पर लाइव दर्शन देंगे।




भोपाल-आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी महाराज धर्मगुरु मिर्ची बाबा ने गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी है। एवं गुरु शिष्य का महत्व बताते हुए कहा  कि भारतवर्ष में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है प्राचीन काल से ही शिष्य जब गुरु के आश्रम में निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरु की पूजा का आयोजन किया करते थे। उन्होंने श्लोक के माध्यम से गुरु शिष्य परंपरा का महत्व बताते हुए कहा
कि 
गुरू गृह पढन गए रघुराई 
अल्प काल विधा सब आई 
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा गुरुर साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
      स्वामी वैराग्य नंद गिरी महाराज मिर्ची बाबा ने इस श्लोक अर्थ समझाते हुए कहा कि प्रथम गुरु माता पिता है, द्वितीय गुरु आपके शिक्षा गुरु हैं, तृतीय दीक्षा गुरु है उन्होंने कहा कि गुरु का स्त्रोत कभी खत्म नहीं होता है। गुरु अनादि से और रहेंगे जीवन में जिसने तुम्हें ज्ञान दिया हो साहस दिया हो मनोबल दिया हो जीने का तरीका सिखाया हो हर परिस्थिति में आप अपना जीवन जी सकें ऐसा उपदेश दिया हो वह जीवन के गुरु होते हैं। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरुदेव के दर्शन अवश्य करें। यदि कोरोना महामारी के चलते अपने गुरु तक नहीं पहुंच सकते वह तो सोशल मीडिया के माध्यम से अपने गुरुदेव के दर्शन अवश्य करें।
        महाराज जी ने बताया कि रामकृष्ण जी ने अपने प्रसंग में कहां है कि आगे आगे चेला, अपना हाथ संसार के हाथों में देने से अच्छा है। अपने गुरुदेव के हाथ में दे दे क्योंकि गुरुदेव पार लगाने वाली नाव है। गुरु के नाम में जो बैठ गया वह तो भवसागर के भी पार हो जाता है। जीवन मरण बेबी पार हो जाता है। हमेशा अपने गुरुदेव के दिए हुए मंत्रों का जाप करें दुनिया में गुरु के आलोचना और निंदा आप अपने कानों से कभी ना सुने, बस मैं गुरुदेव का हूं और गुरुदेव मेरे हैं
ऐसा मानकर अपार श्रद्धा अपने गुरुदेव के प्रति रखें। गुरुदेव ज्ञान की खदान है। और खदान में से पत्थर और हीरा दोनों निकलते हैं। गुरुदेव के ज्ञान व प्रकाश से आप समाज में हीरा बन कर ख्याति और ऐश्वर्या प्राप्त करें। यही गुरु का प्रताप है।
          महाराज जी ने कहा कि मेरे लिए सर्वत्र गुरु हैं। और गुरु ही मेरे जीवन का मार्ग चुनते हैं। जय गुरुदेव, अनंत गुरुदेव, विराट गुरुदेव, ज्ञान गुरुदेव, साहस गुरुदेव, यह सब गुरुदेव की पूंजी है। हम सब गुरुदेव की बगिया के खिलते हुए फूल हैं। और हमेशा खेलते रहेंगे।
      लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वाले शिष्यों की कभी हार नहीं होती बस गुरुदेव के चरणों में सदैव मेरा मस्तक झुकता रहेगा, स्वाभिमान गिरने नहीं दूंगा, और अहंकार आने नहीं दूंगा।