ब्यूरो रिपोर्ट इमरान खान.......  जिला नरसिंगपुर पुलिस के हाथ लगी बड़ी सफलता मादक पदार्थ के अंतराष्ट्रीय तस्कर पकड़ाए।
एक क्विंटल गांजा किया जप्त तीन आरोपी लगे हाथ।
नरसिंहपुर के NH26 मेहमदपुर टोलप्लाज पर आल्टो कार में एक करोड़ का गांजा बरामद किया गया
उड़ीसा से नरसिंहपुर में करते थे सप्लाई ।आल्टोकार  में 100 किलों 500 ग्राम गांजा जप्त किया गया।
गांजे की कीमत लगभग एक करोड़ रुपये है। आल्टोकार - 100 किलोग्राम गांजा सहित तीन आरोपी गिरफ्तार  तीन में से एक आरोपी नरसिंहपुर एक सागर एक रायसेन का बताया जा रहा है।
अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्य हैं आरोपी

गजेंद्र सिंह चंद्रावत की रिपोर्ट। .......  नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में इंदिरा गांधी को सबसे सफल प्रधानमंत्रियों में शुमार किया जाता है। अपनी राजनीतिक सोच और नजरिये से उन्होंने आजाद भारत को एक नई दिशा दी। खास बात यह है कि इंदिरा गांधी के बाद उनकी पोती यानी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बेटी प्रियंका गांधी में भी लोग शुरू इंदिरा गांधी का ही अक्स देखते हैं। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार प्रियंका गांधी की सक्रीय राजनीति में एंट्री हो ही गई। लोगों को लगने लगा है कि एक बार फिर इंदिरा गांधी ही लौट आई हैं। हाल में प्रियंका गांधी वाड्रा 47 वर्ष की हुईं 12 जनवरी को उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया। आइए जानते पांच बातें
                                


शौकिया रेडियो संचालक
1. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पोती और पूर्व पीएम राजीव गांधी-सोनिया गांधी की दूसरी संतान प्रियंका गांधी का जन्म 12 जनवरी 1972 को राजधानी दिल्ली में हुआ। शिक्षा माडर्न स्कूल, कॉन्वेंट ऑफ़ जीसस एण्ड मैरी, नई दिल्ली से प्राप्त की और वह दिल्ली विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान विषय की स्नातक हैं। वह एक शौकिया रेडियो संचालक है, जिनके पास VU2PGY कालसाइन है।

बगैर राजनीति के जनता की सेवा

2. 1999 के चुनाव अभियान के दौरान, बीबीसी के लिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा: मेरे दिमाग में यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि राजनीति शक्तिशाली नहीं है, बल्कि जनता अधिक महत्वपूर्ण है और मैं उनकी सेवा राजनीति से बाहर रहकर भी कर सकती हूँ।

भाषण से लेकर नयन नक्ष तक दादी की झलक

3. प्रियंका गांधी में लोगों ने शुरू से इंदिरा गांधी का अक्स ही देखा। नयन नक्ष में तो प्रियंका गांधी अपने दादी इंदिरा की तरह दिखती हीं थीं। लेकिन जब वो लोगों से मिलतीं तो उस दौरान भी आव भाव बिल्कुल दादी की तरह दिखते थे। यही वजह है कि लोग उनके प्रति काफी आकर्षित होते हैं। अपने लुक्स के अलावा प्रियंका के भाषणों में भी दादी इंदिरा की तरह धारा और प्रवाह है।

कांग्रेस की गेम चेंजर 
4. कांग्रेस पार्टी के लिए प्रियंका गांधी ने हमेशा अहम रोल अदा किया। पर्दे के पीछे रहकर भी एक नेता की तरह ही प्रियंका हमेशा काम करती रहीं। पर्दे के पीछे से ही प्रियंका ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देशभर में पार्टी के लिए कई अहम रणनीतियां बनाईं फिर चाहे वो टिकट का आवंटन हो या फिर गुटबाजी की मुश्किल। हर परेशानी से वो पार्टी को उबारने का माद्दा रखती हैं। यही वजह है कि 2018 में पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने इशारा कर दिया था कि 2019 में प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगी।

 

नेता-कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह की लहर
5. लोकसभा चुनाव से लेकर आगामी विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस को जिस रामबाण की जरूरत थी लगता है प्रियंका गांधी के रूप में उसे वो मिल गया है। यही वजह है कि कार्यकर्ता से लेकर नेताओं तक हर कोई उत्साह और जोश से लबरेज है। यूपीसीसी के प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव के मुताबिक हम पिछले काफी सालों से मांग कर रहे थे कि प्रियंका गांधी सक्रीय राजनीति में आए। इस सिलसिले में दो महीने पहले मिले भी थे। राहुल गांधी जिस तरह एक मिशन लेकर चल रहे हैं उसमें प्रिंयका की एंट्री मील का पत्थर साबित होगी, युवाओं को नया जोश भरेगी।

इमरान खान की रिपोर्ट। .......  गाडरवारा बारहा रोड पर दोपहर के समय कठोतिया सीरेेगांव के बीच में हुआ एक्सीडेंट तेज रफ्तार  टू व्हीलर  गाड़ी ने  रॉन्ग साइड से  मारी टक्कर बारहा से ड्यूटी कर  जा रहे डॉक्टर फूल सिंह साहू हुए घायल गाडरवारा से जबलपुर  किया रेफर दूसरा व्यक्ति अभिषेक निवासी  ढांडिया भी घायल पुलिस को सूचना देने के बाद भी नहीं पहुंची हंड्रेड डायल घायलों को निजी  वाहन से पहुंचाया  अस्पताल

अटल गोसवामी की रिपोर्ट। ....  गरोठ। श्रीमद भागवत कथा के विराम पश्चात आयोजित महायज्ञ में भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री श्री 1008 श्री दिव्यानन्द जी महाराज के सानिध्य एवं युवाचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज के मार्गदर्शन में पूर्ण हुआ।
दोपहर में शंकराचार्य जी के अमृत वचनों से पूर्व युवाचार्य श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष ये चार मुख्य पुरुषार्थ हैं। 
धर्म का वर्ग,मोर अर्थ का वर्ग,सर्प काम का वर्ग बिलाव और मोक्ष का वर्ग मूषक हैं।
जिस प्रकार बिल्ली चूहे को खा जाती हैं इसी प्रकार काम रूपी बिलाव मूषक रूपी मोक्ष को खा जाता हैं।अर्थ रूपी सर्प का धर्मरूपी मोर से सदैव बैर चलता रहता हैं।
मोक्ष में पाप व पुण्य का फल नहीं होता। मोक्ष केवल धर्म का फल है।मोक्ष में कोई बंधन नहीं होता हैं।मोक्ष बन्धन रहित होता हैं।
धर्म को जानने के लिए वेद एवं श्रुति का अध्ययन जरूरी हैं। वेदसम्मत संस्कृति ही धर्म हैं।धर्म के लिए वेद तथा वेद को जानने के लिए ज्ञान जरूरी हैं। वेद श्रुतियों के दिव्यसूत्र मोक्ष प्राप्ति के श्रेष्ठतम साधन है।
धर्म के लिए अर्थ(वित्त) का उपयोग करो फिर सम्मान के लिए उपयोग करो फिर यदि अर्थ का सार्थक उपयोग नहीं किया तो चित्त का बिगड़ना तय है अतः अर्थ का उपयोग युक्तिपूर्ण होना चाहिए क्योंकि अर्थ का अनुचित उपयोग चित्त को बिगाड़ देता हैं।
महापुरुषों के वाक्य जो व्यक्ति हृदय में धारण कर लेते है उनका विवेक जागृत हो जाता हैं तथा इससे वे परमात्मा को पा जाते है।किसी वाक्य,वचन,पद को निरन्तर खोजना एवं ग्रहण करना इसकी युक्ति हैं सुनना, मनन करना,इस मनन का नित्य ध्यान करना,अध्ययन करना, चिन्तन करना यही सतचितानन्द हैं,यही ब्रह्म हैं,यही परमपिता परमेश्वर हैं,यही वह दिव्यशक्ति हैं जिससे ब्रह्माण्ड अपना कार्य सम्पादित करता है। इस अवसर पर भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री श्री 1008 श्री दिव्यानन्द जी तीर्थ ने उपस्थित जन को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि भगवान कहते है कि शास्त्र मेरे द्वारा ही सम्पादित हैं।शास्त्र रटना नहीं बल्कि हृदयगम्य करना श्रेष्ठ पद्धति है।शास्त्रों को जो हृदय में उतार लेगा वही बुद्धिमान हैं।
भारत के सम्पूर्ण पौराणिक ज्ञान को भागवत गीता में लघुरूप में एकत्र किया गया है इसलिए गीता को गीताशास्त्र कहा गया है।
आपने कहा कि सम्पूर्ण गीता तो ठीक केवल 12 वा अध्याय ही और उसमें भी इस अध्याय के मात्र 8 श्लोको को ही हृदयगम्य कर ले तो जीवन सफल हो जायेगा।
इसमें एक श्लोक में कहा गया है कि प्रत्येक वस्तु, जीव से अपनत्व स्थापित कर ले अद्वैष की स्थिति में आ जावे तो भी हम परमेश्वर मिलन मार्ग की ओर अग्रसर होना आरम्भ हो जाएंगे।
प्रेम और द्वेष दोनों ही परिस्थिति की परिणीति एक ही है न भूख लगना और न नींद आना।
भक्त का सर्वप्रथम लक्षण द्वेष परिस्थिति से विलग होना होता हैं।
*बाह्य पवित्रता से ज्यादा आवश्यक आंतरिक पवित्रता हैं।
अद्वैष का मूल मंत्र गांधी के तीन बन्दरों की प्रतिमा में स्थित हैं।
जो न देखो नहीं देखना नही सुनो नहीं सुनना नही बोलो नही बोलना।
पराधीनता दुख का कारण है सब कुछ आत्मवश में कर लेना ही सुख का कारण है।
जीवन का मुख्य लक्ष्य आत्मबोध हैं। पद प्रतिष्ठा तो मात्र मिथ्या हैं।सांसारिक सुख के लिए जीवन यापन के लिए आवश्यक है लेकिन मानव जीवन का मुख्य लक्ष्य आत्मबोध स्वयं को जानना ही है। कार्यक्रम के अंत मे पोरवाल समाज, मोहन मार्किट व्यवसायी, ब्राह्मण महिला मंडल, सहित नगर के गणमान्य नागरिकों   ने महाराजश्री का स्वागत किया मोहन मार्किट के व्यवसायी द्वारा कथा आयोजक पण्डित अजय कुमार शर्मा सहित उनके परिवार का स्वागत कर शाल श्रीफल भेंट की । इसी अवसर पर अजय मिश्रा द्वारा गुरुजी की बनाई गई पेंटिग का भी गुरुजी द्वारा अनावरण रस्सी खींच कर किया उस पेंटिंग पर गुरुजी द्वारा आशीर्वचन के साथ साइन किये गये। पण्डित अजय कुमार शर्मा ने बताया कि गुरुवार आज सुबह 10 बजे पुराना बस स्टैंड श्री सत्यनारायण मंदिर पर विशाल भंडारे के आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में पधारकर आशीर्वाद स्वरूप प्रसाद ग्रहन करे।

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