भोपाल संवाददाता आशीष जैन - मध्यप्रदेश की 25 सीटों पर उपचुनाव होने वाले है. चुनावों को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सक्रिय दिखाई देने लगे है. वही बीजेपी भी लगातार उन क्षेत्रों का दौरोन करने में जुट गई है, जहां चुनाव होना है. उपचुनाव में ज्यादा से ज्याद सीटे जितने के लिए कांग्रेस पूरा दमखम लगा रही है. इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलानाथ ने तो ग्वालियर में एक मुख्यालय बना लिया है, ताकि चंबल की सीटों पर उनकी लगातार नजरे बनी रहे है. वही उपचुनाव के लिए दावेदारों की होड़ शुरू हो चुकी है, दावेदार अपनी दावेदारी पेश करने लगे है.

सूत्रों से जानकारी मिली है की कांग्रेस ने 24 सीटों पर कुछ उम्मीदवारों के नामों का चयन किया है. हालांकी यह नाम अभी तय नहीं किए गए है. लेकिन हर विधानसभा से पैनल में उम्मीदवरों के नामों को जोड़ा गया है और विधानसभाओं में सर्वे किया जा रहा है. सर्वे रिपोर्ट के बाद ही उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा. हमारे पास सूत्रों से एक संभावित सूची मिली है, जिनमें 24 सीटों पर कुछ उम्मीदवारों के नाम तय किए गए है.

इन उम्मीदवारों को कांग्रेस दे सकती है टिकट

सुवासरा - राकेश पाटीदार, ओम सिंह भाटी, मनोज मुजावदिया, पीरूलाल डक्करा
बदनावर - मनोज गौतम, कुलदीप बुंदेला, आशीष धाकड़, ध्रुवनारायण सिंह
सांवेर - प्रेमचंद गुड्डू, राजेंद्र मालवीय
हाट पिपल्या - राजवीर सिंह बघेल, अशोक कप्तान
आगर मालवा - विपिन बानखेड़े, राजकुमार गोहरे
मेहगांव - हेमंत कटारे, चाैधरी राकेश सिंह
सांची - किरण अहिरवार, प्रीति ठाकुर, संदीप मालवीय, मदन चैधरी, प्रभात चावड़ा, बलवंत शाक्या
सुरखी - अरूणोदय चाैबे, भूपेंद्र सिंह मोहासा, कमलेश साहू, जीवन पटेल
मुंगावली - प्रद्यम्न सिंह दांगी, विजय प्रताप सिंह उर्फ मनुराजा
अशोकनगर - आशा दोहरे, त्रिलोक अहिरवार, रमेश इटोरिया
गोहद - मेवाराम जाटव, अनिता चैधरी, संजू जाटव, रामनारायण हिंडोलिया
जौरा - मानवेंद्र गांधी, पंकज उपाध्याय, सुनील शर्मा
मुरैना - रामनिवास रावत, बलवीर दंडोतिया, राकेश मावई, प्रबल प्रताप, दिनेश गुर्जर
सुमावली - अजब सिंह कुशवाह, रामलखन दंडोतिया, वृंदावन सिकरवार
दिमनी - रवींद्र सिंह तोमर, वीरेंद्र सिंह तोमर
भांडेर - फूल सिंह बरैया, महेंद्र बौद्ध, अनु भारती
बामोरी - केएल अग्रवाल, सुमेर सिंह गढ़ा
करैरा - शकुंतला खटीक, प्रागीलाल जाटव
डबरा - सत्यप्रकाशी परसोडिया, वृंदावन कोरी
ग्वालियर पूर्व - अशोक सिंह, बालेंदु शुक्ला, रश्मि पवार, देवेंद्र शर्मा
ग्वालियर - संत कृपाल सिंह, सुनील शर्मा, अशोक शर्मा
अम्बाह - सत्यप्रकाश सखवार, सौरभ सोलंकी
पोहरी - हरिवल्लभ शुक्ला, रामनिवास रावत, प्रद्युम्न वर्मा
अनूपपुर- ममता सिंह, उमाशंकर उइके, विश्वनाथ सिंह, बिसाहूलाल कुल्हाड़ा, रेवा सिंह के संभावित नाम तय किए गए है. हालांकी हमारी संस्था इन नामों की पुष्टि नहीं करती है.



भोपाल : मध्य प्रदेश के गुना में दलित किसान परिवार पर पुलिस की कार्यवाही को लेकर सियासत गर्म होती जा रही है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी आनंद गिरि महाराज ने शिवराज सिंह चौहान को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में शिव ,राज नहीं बल्कि जंगलराज चल रहा है। जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई है। लगातार गरीब दलित किसानों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। लगातार किसानों के आत्महत्या करने के मामले भी सामने आ रहे हैं। महाराज जी ने कहा कि यदि पीड़ित युवक का जमीन संबंधी कोई शासकीय विवाद है। तो उसे कानूनन हल किया जा सकता है। लेकिन इस तरह कानून हाथ में लेकर उसकी, उसकी पत्नी की परिजनों की वाह मासूम बच्चों तक की इतनी बेरहमी से पिटाई, यह कहां का न्याय है? क्या यह सब इसलिए हो रहा है।कि वह एक दलित परिवार से है, गरीब किसान है।
       आनंद गिरि महाराज ने शिवराज सिंह को तानाशाह बताते हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की है। साथ ही पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। और दोषी पुलिसकर्मियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

 *यह है पूरा मामला*
गुना के सरकारी पीजी कॉलेज की जमीन पर राजकुमार अहिरवार लंबे समय से खेती कर रहे थे, मंगलवार दोपहर अचानक गुना नगर पालिका का अतिक्रमण हटाओ दस्ता एसडीएम के नेतृत्व में यहां पहुंचा और राजकुमार की फसल पर जेसीबी चलवाना शुरू कर दिया। राजकुमार ने विरोध किया तो उसे पुलिस ने पकड़ लिया। सामने आए वीडियो में दिख रहा है कि पुलिस दंपति को पीट रही है। अपनी आंखों के सामने फसल खराब होते देख दंपति ने जहर खा लिया।


राजकुमार का कहना था कि ये उसकी पैतृक जमीन है। दादा-परदादा इस जमीन पर खेती करते आ रहे हैं। उसके पास पट्टा नहीं है। जब जमीन खाली पड़ी थी तो कोई नहीं आया। उसने 4 लाख रुपए का कर्ज लेकर बोवनी की है। अब फसल अंकुरित हो आई है। इस पर बुल्डोजर न चलाया जाया। मेरे परिवार में 10-12 लोग हैं। अब मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। आत्महत्या नहीं करुंगा तो क्या करूंगा। 

थोड़ी देर बाद उसकी पत्नी ने भी जान देने की कोशिश की, अतिक्रमण हटाने आए दस्ते के लोगों ने दोनों को पकड़ने का प्रयास किया तब तक काफी देर हो चुकी थी। बाद में दोनों को जबरन अस्पताल पहुंचाया गया।

गुना तहसीलदार निर्मल राठौर ने कहा भूमि की नाप के बाद जब जेसीबी से कब्जा हटाया जा रहा था उस वक्त जो बटाईदार हैं। उन्होंने किसी जहरीली वस्तु का सेवन कर लिया, उन्हें इलाज के लिये अस्पताल भेज दिया गया है। अस्पताल में राजकुमार की पत्नी की हालत नाजुक बताई जा रही है।




भोपाल : मध्य प्रदेश के गुना में दलित किसान परिवार पर पुलिस की कार्यवाही को लेकर सियासत गर्म होती जा रही है। 
       आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्य नंद गिरी धर्मगुरु मिर्ची बाबा ने शिवराज सिंह चौहान को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में शिव ,राज नहीं बल्कि जंगलराज चल रहा है। जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई है। लगातार गरीब दलित किसानों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। लगातार किसानों के आत्महत्या करने के मामले भी सामने आ रहे हैं। महाराज जी ने कहा कि यदि पीड़ित युवक का जमीन संबंधी कोई शासकीय विवाद है। तो उसे कानूनन हल किया जा सकता है। लेकिन इस तरह कानून हाथ में लेकर उसकी, उसकी पत्नी की परिजनों की वाह मासूम बच्चों तक की इतनी बेरहमी से पिटाई, यह कहां का न्याय है? क्या यह सब इसलिए हो रहा है।कि वह एक दलित परिवार से है, गरीब किसान है।
       मिर्ची बाबा ने शिवराज सिंह को तानाशाह बताते हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की है। साथ ही पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। और दोषी पुलिसकर्मियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

 यह है पूरा मामला

गुना के सरकारी पीजी कॉलेज की जमीन पर राजकुमार अहिरवार लंबे समय से खेती कर रहे थे, मंगलवार दोपहर अचानक गुना नगर पालिका का अतिक्रमण हटाओ दस्ता एसडीएम के नेतृत्व में यहां पहुंचा और राजकुमार की फसल पर जेसीबी चलवाना शुरू कर दिया। राजकुमार ने विरोध किया तो उसे पुलिस ने पकड़ लिया। सामने आए वीडियो में दिख रहा है कि पुलिस दंपति को पीट रही है। अपनी आंखों के सामने फसल खराब होते देख दंपति ने जहर खा लिया।


राजकुमार का कहना था कि ये उसकी पैतृक जमीन है। दादा-परदादा इस जमीन पर खेती करते आ रहे हैं। उसके पास पट्टा नहीं है। जब जमीन खाली पड़ी थी तो कोई नहीं आया। उसने 4 लाख रुपए का कर्ज लेकर बोवनी की है। अब फसल अंकुरित हो आई है। इस पर बुल्डोजर न चलाया जाया। मेरे परिवार में 10-12 लोग हैं। अब मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। आत्महत्या नहीं करुंगा तो क्या करूंगा। 

थोड़ी देर बाद उसकी पत्नी ने भी जान देने की कोशिश की, अतिक्रमण हटाने आए दस्ते के लोगों ने दोनों को पकड़ने का प्रयास किया तब तक काफी देर हो चुकी थी। बाद में दोनों को जबरन अस्पताल पहुंचाया गया।

गुना तहसीलदार निर्मल राठौर ने कहा भूमि की नाप के बाद जब जेसीबी से कब्जा हटाया जा रहा था उस वक्त जो बटाईदार हैं। उन्होंने किसी जहरीली वस्तु का सेवन कर लिया, उन्हें इलाज के लिये अस्पताल भेज दिया गया है। अस्पताल में राजकुमार की पत्नी की हालत नाजुक बताई जा रही है।




उज्जैन संवादाता- आशीष जैन 

पैसे भी पहुंचाता था, भागने में भी कुछ लोगों ने की मदद
उज्जैन में एक शराब कारोबारी ने कथित सरेंडर में की मदद
कानपुर विकास दुबे को नहीं था कोरोना, हॉस्पिटल से रिपोर्ट
हाई अलर्ट...फिर कहां चूकी पुलिस?
दो जुलाई की घटना के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट कर दिया गया था। खासतौर से दूसरे राज्यों के सीमावर्ती जिलों में   सतर्कता बरतने को कहा गया था।
कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी और दुर्दांत क्रिमिनल विकास दुबे को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद अब यूपी पुलिस उसके मददगारों और अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है। विकास के गुर्गों को शरण देने के आरोप में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस अब उन लोगों को दबोचने में जुट गई है, जिन्होंने एनकाउंटर से पहले कानपुर के बिकरू गांव से विकास के भागने और पनाह देने में मदद की थी।
कई पुलिसवालों को दे रखे थे प्लॉट
एनकाउंटर से पहले उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान विकास ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए थे। एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया कि विकास दुबे ने अपनी आवासीय योजना में कई पुलिसवालों को सस्ते दामों में प्लॉट दे रखे थे। उसने यह भी बताया कि कुछ पुलिसकर्मियों को हर महीने रकम भी पहुंचवाता था। एसटीएफ इन पुलिसकर्मियों के बारे में जानकारी जुटा रही है।
विकास की पत्नी ने कहा- जरूरत पड़ी तो बंदूक भी उठाऊंगी

शराब कारोबारी ने की 'सरेंडर' में मदद
सूत्रों के मुताबिक उज्जैन के एक शराब कारोबारी की मदद से विकास ने वहां (उज्जैन) कथित सरेंडर किया था। इस शराब कारोबारी के मध्य प्रदेश में काफी करीबी राजनीतिक संपर्क हैं। शराब कारोबारी का यह संपर्क विकास से भी जुड़ा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि विकास दुबे को उज्जैन में एक बुलेटप्रूफ जैकेट भी मुहैया कराई गई थी। हालांकि अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
फरारी के दौरान तीन बार नोएडा गया था
पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि वह तीन बार नोएडा गया था। विकास दुबे फरारी काटने के दौरान तीन बार नोएडा से दिल्ली और फरीदाबाद गया लेकिन यूपी पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लगी। जबकि दावे हर नाके, चौराहे और बॉर्डर एरिया में सघन चेकिंग के हो रहे थे। उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान विकास से हुई पूछताछ में यह बात सामने आई है कि वह तीन बार नोएडा गया था।

विकास दुबे को नहीं था कोरोना, हॉस्पिटल से रिपोर्ट
हाई अलर्ट...फिर कहां चूकी पुलिस?
दो जुलाई की घटना के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट कर दिया गया था। खासतौर से दूसरे राज्यों के सीमावर्ती जिलों में   सतर्कता बरतने को कहा गया था। बावजूद इसके विकास दुबे तीन बार नोएडा गया और पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई। विकास ने रास्ते में हुई पूछताछ के दौरान बताया कि दो जुलाई के बाद वह दो दिन तक कानपुर देहात के शिवली में अपने करीबी के घर रुका था। फिर वहां से फरीदाबाद जाना तय किया। उसने एक निजी गाड़ी का इंतजाम किया और नोएडा के रास्ते फरीदाबाद गया।
अदालत में सरेंडर का प्लान
इस दौरान उसकी कार की कहीं चेकिंग नहीं की गई। 7 जुलाई को उसकी फरीदाबाद से जुड़े वीडियो फुटेज वायरल होने के बाद उसे लगा कि पकड़ा जा सकता है तो वह वहां नोएडा गया और एक वकील से मुलाकात की। वकील ने उससे अदालत में सरेंडर की एप्लिकेशन लगाने के लिए 50 हजार रुपये मांगे। उसके पास कैश नहीं था इसलिए उसने परिचित के जरिए ऑनलाइन फीस का भुगतान करवाने की बात कही। बाद में वह फिर नोएडा से फरीदाबाद आ गया था। बाद में उसका नोएडा का भी एक वीडियो फुटेज वायरल हुआ था। लेकिन तमाम नाकेबंदी के बाद भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई थी।

विकास के एनकाउंटर के बाद खत्म नहीं हुआ अभियान
विकास के एनकाउंटर के बाद खत्म नहीं हुआ अभियान
पुलिसकर्मियों को मारने की घटना को अंजाम देने के बाद से ही लुकाछिपी का खेल खेल रहे विकास दुबे को उज्जैन से लाते वक्त कानपुर हाइवे पर मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया। हालांकि अभी भी पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल रहे कुछ बदमाश फरार हैं।
 
21 नामजद सहित 60-70 पर FIR
21 नामजद सहित 60-70 पर FIR
थाने में लिखी गई पहली एफआईआर में 21 नामजद समेत 60-70 अज्ञात को दर्ज किया गया था। अब तक की कार्रवाई में 6 लोग मुठभेड़ में मारे गए, जबकि दो पुलिसकर्मी विनय तिवारी और के के शर्मा सहित 14 लोग जेल भेजे गए हैं। पुलिस को करीब 60 लोगों की तलाश है, जिनमें 12 इनामी बदमाश हैं।
 
2 पर 1-1 लाख, 10 पर 50 हजार इनाम
2 पर 1-1 लाख, 10 पर 50 हजार इनाम
अपर पुलिस महािदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि विकास दुबे गैंग के जिन 12 बदमाशों की तलाश है। उनमें से दो के ऊपर एक-एक लाख का इनाम है जबकि बाकी 10 अपराधियों पर 50-50 हजार का इनाम है।
 
फरार हैं सभी 12 अपराधी
फरार हैं सभी 12 अपराधी
इनमें गोपाल सैनी और हीरू दुबे पर एक-एक लाख का इनाम है। जबकि छोटू शुक्ला, शशिकांत पंडित, शिव तिवारी, राम सिंह, रामू बाजपेयी, शिवम दुबे, बाल गोविंद, बउवन शुक्ला, विष्णु पाल यादव और मोनू पर 50-50 हजार रुपये का इनाम है।
 
विकास के बाद STF का फोकस 12 इनामियों पर
विकास के बाद STF का फोकस 12 इनामियों पर
अभी तक पुलिस और एसटीएफ का मुख्य टारगेट विकास दुबे था। शुक्रवार को उसके मारे जाने के बाद पुलिस और यूपी एसटीएफ का पूरा फोकस इन 12 इनामियों को गिरफ्तार करने पर होगा।
 
अब तक विकास सहित 6 हो चुके हैं ढेर
अब तक विकास सहित 6 हो चुके हैं ढेर
अभी तक यूपी पुलिस और एसटीएफ विकास दूबे के अलावा उसके करीबी प्रभात मिश्रा, अमर दुबे, अतुल दुबे, प्रेम प्रकाश पांडेय और बउवन दुबे को मुठभेड़ में मार चुकी है। जबकि दयाशंकर अग्निहोत्री, जहान सिंह यादव और 50 हजार के इनामी श्यामू बाजपेई को मुठभेड़ में गोली लगने के बाद गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा पुलिस ने अमर दुबे के पिता समेत चार अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी की है।
 
​लूटी गई AK-47 और इंसास रायफल की बरामदगी भी बाकी
​लूटी गई AK-47 और इंसास रायफल की बरामदगी भी बाकी
विकास दुबे समेत गैंग के छह लोगों को मारने और तीन सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस और एसटीएफ अभी तक लूटी गई एके-47 और इंसास रायफल बरामद नहीं कर पाए हैं। ये हथियार दो जुलाई की रात पुलिस पर हमले के बाद लूटे गए थे। इसके अलावा 9 एमएम की तीन पिस्टल भी लूटी गई थीं, जिन्हें पुलिस अतुल दुबे, प्रेम प्रकाश पांडेय और प्रभात मिश्रा के पास से बरामद कर चुकी है।
 
पुलिस की दलील
इधर, यूपी एसटीएफ और कानपुर पुलिस विकास को उज्जैन से ट्रांजिंट रिमांड पर नहीं, बल्कि सुपुर्दगी में लेकर आए थे। उज्जैन पुलिस ने विकास की गिरफ्तारी नहीं दिखाई थी। इसलिए उसे कोर्ट में नहीं पेश किया गया। उज्जैन पुलिस की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि विकास जब महाकाल मंदिर के बाहर से हिरासत में लिया गया तो उससे पूछताछ की गई।
इसके साथ ही यूपी पुलिस को उसके पकड़े जाने की सूचना दे दी गई। जब यूपी पुलिस की टीम वहां पहुंची तो विकास को उनके सुपुर्द कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक बड़े स्तर पर हुई बातचीत के बाद यह तय हुआ था कि उज्जैन पुलिस द्वारा विकास की गिरफ्तारी नहीं दिखाई जाएगी। हालांकि इससे पहले एमपी के सीएम और गृह मंत्री ने अपने बयान में विकास की गिरफ्तारी के लिए उज्जैन पुलिस को बधाई दी थी।विकास दुबे के परिवार में उसकी पत्नी और 2 बेटे हैं, उसकी शादी करीब 25 साल पहले 1995 में ऋचा से हुई थी, ऋचा दुबे स्थानीय राजनीति में अपनी पैर जमाने की कोशिश कर रही हैं।
कानपुर का मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दूबे एनकाउंटर में मारा गया, उज्जैन में गिरफ्तारी देने के बाद यूपी पुलिस की टीम उसे उज्जैन से कानपुर ला रही थी, इसी क्रम में पुलिस की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया, विकास मौके का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की, जिसमें पुलिस फायरिंग में मारा गया। कई सालों से कानपुर में अपराध की दुनिया में राज करने वाले गैंगस्टर विकास का परिवार भी काफी बड़ा है, उसकी पत्नी राजनीति में सक्रिय है, विकास के परिवार में उनके बूढे माता-पिता, भाई-बहन और बच्चे भी हैं।


 अमेरिका में पढ़ाई कर रहा है विकास के बच्चे,,,
पत्नी और बच्चे
विकास दुबे के परिवार में उसकी पत्नी और 2 बेटे हैं, उसकी शादी करीब 25 साल पहले 1995 में ऋचा से हुई थी, ऋचा दुबे स्थानीय राजनीति में अपनी पैर जमाने की कोशिश कर रही हैं, वो पंचायत चुनाव भी लड़ चुकी है, विकास और ऋचा के 2 बेटे हैं, जिनका नाम आकाश और शानू है, बड़ा बेटा आकाश अमेरिका में पढाई कर रहा है, जबकि छोटा बेटा शानू फिलहाल बारहवीं में पढ रहा है, वो लखनऊ में अपनी मां के साथ रहता था।

मां-बाप
विकास के माता-पिता बुजुर्ग हो चुके हैं, पिता तो उसी मकान में विकास के साथ ही रहते थे, जिससे विकरु में फायरिंग की गई थी, जबकि उनकी मां अपने छोटे बेटे-बहू के साथ रहती है,                  
विकास के छोटे भाई की पत्नी भी राजनीति में सक्रिय है, वो नगर पंचायत सदस्य है।

भाई-बहन
विकास दूबे का एक छोटा भाई भी है, जिनका नाम दीप प्रकाश दूबे है, दीप अपनी पत्नी अंजलि दूबे और मां के साथ अलग मकान में रहता है, विकास की 2 बहनें रेखा और किरण की मौत हो चुकी है, जबकि एक छोटी बहन चंद्रकांता दुबे शिवली में रहती है।

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