टोंकखुर्द।शासकिय महाविद्दालय टोकखुर्द में विवेकानंद केरियर मार्गदर्शन अन्तर्गत रोजगारन्मुखी प्रशिक्षण का समापन समारोह आयोजित किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लीड कालेज के प्राचार्य एस एल वरे,अध्यक्षता टोकखुर्द कालेज के प्राचार्य डाँ पी मूंदड़ा द्वारा कि ग ई।प्रोफेस वरे द्वारा छात्रो को रोजगार और व्यक्तित्व विकास से संबधित वक्तव्य दिये उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानंद के आदर्शो पर चलने का आव्हान किया।इस अवसर पर प्राध्यापक डाँ राजेन्द् मराठा,डाँ संग्राम सिंह साठे,डाँ संजय गाडगे,डाँ प्रमिला शेरे,डाँ संदीप सारवान,डाँ नरेन्द् सरिया,डाँ अरूण कुशवंशी,एवं जितेन्द्र यादव,उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना के प्रभारी डाँ राजेन्द्र कुमार 

*विजेन्द्रसिंह ठाकुर देवास टोंकखुर्द


देवास जिले में चुनावी हल चल के चलते यहां के अधिकारियों को भी चिंता सताने लगी है ग्रामीण अंचल के भोले भाले किसानों को ये अधिकारी वर्षो से परेशान कर रहे है और शासन की योजनाओं पर वर्षों से जमे प्रशासनिक अधिकारी पूरी तरीके से चोरी नहीं बड़े स्तर पर डाका डाल रहे हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति का आकलन करें तो पूरे मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल को देखते हुए कांग्रेस की सरकार बनते देख देवास जिले के प्रशासनिक अधिकारी के माथे पर अभी से चिंता की लकीर खींचते दिखाई दे रही है। इसका मुख्य कारण जिले में बैठे अधिकारी जो लंबे समय से भाजपा सिपाह सलाहकारों के आशीर्वाद से ही यहां पर जमे हुए हैं। जबकि मध्यप्रदेश शासन की ट्रांसफर गाइडलाइन के अनुसार 3 वर्ष में ही जिले से बाहर का रास्ता इन अधिकारियों को गाइडलाइन के अनुसार दिखाना था , लेकिन इन अधिकारियों की बड़ी सेटिंग के चलते यहां पर अभी भी पदस्थ हैं।कई बड़े अधिकारियों पर लगे हैं भ्रष्टाचार के आरोप 


देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा के कई अधिकारियों के ऊपर भ्रष्टाचार के भी आरोप लग चुके हैं ,जांच होने पर यह सिद्ध हुआ है, लेकिन ऊपर तगड़ी सेटिंग होने के चलते यह हमेशा सेटिंग कर बच रहे हैं। लेकिन जैसे ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो इनके ऊपर बैठे आका भी इनको बचा नहीं पाएंगे। 


भाजपा कार्यकर्ता से ज्यादा फुल रही अधिकारियों की सांसे। 


विधानसभा चुनाव के परिणाम को एक ही दिन बचा है। जहां भाजपा-कांग्रेस उम्मीदवारों की धड़कन चुनाव परिणाम को लेकर तेज हो चली है ,लेकिन उससे ज्यादा सांसे तो प्रशासनिक अधिकारियों की फूली हुई है। अगर प्रदेश सहित जिले में कांग्रेस की सरकार बनती है तो इन अधिकारियों को जेल की हवा सहित कई अधिकारियों को जिले से बाहर का रास्ता देखना तय है। 


कांग्रेस के कद्दावर नेता के राडार पर है यह अधिकारी। 

देवास जिले में प्रशासनिक अधिकारी जो भाजपा सरकार में रहते हुए कई प्रादेशिक अध्यक्षों के पांव छूते हुए भी दिखाई दिए हैं एवं इन अधिकारियों पर कांग्रेस के ही कद्दावर नेताओं द्वारा भाजपा एजेंट के रूप में कार्य करने के भी आरोप लगे हैं । अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनती है तो सबसे पहले जिले के अंदर इन पांव पकड़ अधिकारियों की रवानगी तय है एवं इनके कार्यकाल की भी जांच होना लगभग तय हैं ।


आशीष जैन की रिपोर्ट। .....  उज्जैन। पिछले दिनों बडऩगर और सुंदराबाद के बीच अज्ञात बदमाशों ने आरफीएफ के उपनिरीक्षक एवं प्रधान आरक्षक पर हमला करने के बाद एआरएम राइफल छीन ली थी। इस मामले में पुलिस ने मोगिया गिरोह के एक बदमाश को हिरासत में लेते हुए राइफल को बरामद कर लिया है। जबकि अन्य की तलाश की जा रही है।
पिछले दिनों गश्त के दौरान उपनिरीक्षक कमलेश शर्मा एवं प्रधान आरक्षक राकेश कुशवाह को बदमाशों ने घायल कर दिया था और राइफल छीनकर ले गए थे। इस मामले में पुलिस अधीक्षक सचिन अतुलकर ने बदमाशों की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। इसके साथ ही बदमाशों की धरपकड़ के लिए टीमों को गठन किया था।

गजेंद्र सिंह की रिपोर्ट  .. राउंड खत्म होने के बाद डिस्प्ले होगा परिणाम
इसके बाद शुरू होगी अगले राउंड की गिनती
भोपाल। इस बार चुनाव परिणाम के लिए लंबा इंतजार करना होगा। वजह, चुनाव आयोग ने कांग्रेस की वो मांग मान ली है जिसमें उसने हर राउंड के बाद परिणाम की जानकारी लिखित में देने की बात की थी। इतना ही नहीं ये प्रक्रिया सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में भी अपनाई जाएगी। शनिवार को इस संबंध में दिल्ली से चुनाव आयोग ने आदेश जारी कर दिए हैं।
मतगणना में बाधा डालेंगे कांग्रेसी, फिर भी सरकार तो हमारी ही बनेगी: शिवराज 
हर राउंड के परिणाम की घोषणा के बाद ही दूसरे दौर के लिए इवीएम मशीनों को स्ट्रांग रूम से निकाली जाएंगी। हर विधानसभा क्षेत्र में 14 टेबल लगाकर गणना की जाएगी और अलग अलग विधानसभा क्षेत्र में 16 से लेकर 20 राउंड में गणना होगी। हर राउंड की गणना और फिर उसके परिणाम की घोषणा में आधा से पौन घंटा लग सकता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि पूरी गणना में दस घंटे से ज्यादा का समय लगेगा। साफ है कि इस वजह से वास्तविक परिणाम काफी देर से आएगा।
9 बजे के बाद टूटेगी इवीएम की सील: 11 दिसम्बर को सुबह आठ बजे सबसे पहले डाक मत पत्र और सेवा मतों की गणना की जाएगी। विधानसभावार इसके लिए टेबल लगाए जाएंगे। एक टेबल में 5 सौ मतों की गिनती होगी। इसके परिणाम आने के बाद करीब नौ बजे इवीएम की गणना शुरू होगी। गणना में आधा घंटा का वक्त लग सकता है। अब इस गणना के एआरओ और फिर आरओ से मिलान होने के बाद टेबुलेशन के लिए भेजा जाएगा। टेबुलेशन हो जाने के आरओ फिर इसका मिलान करेंगे। इसके बाद ऑब्जर्वर मिलान करेंगे। इस सब में 15 से 20 मिनट लग सकता है। इसके बाद परिणाम की घोषणा होगी।
खाली बैठेंगे गणना कर्मचारी: गणना के बाद टेबुलेशन, मिलान और घोषणा के दौरान के समय में मतगणना दल और अभिकर्ताओं को खाली बैठना होगा। घोषणा के बाद दूसरे दौर के लिए इवीएम लाई जाएंगी। इस तरह हर राउंड के बीच 15 से 20 मिनट का खाली समय जाएगा और पूरी प्रक्रिया में लंबा वक्त लगेगा। हर राउंड की घोषणा को मतगणना कक्ष के डिस्प्ले बोर्ड पर प्रदर्शित किया जाएगा और इसकी माइक से घोषणा भी की जाएगी। राउंड वार यह रिजल्ट शीट राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी दी जाएगी। राउंड वार यह जानकारी रिटर्निंग आॅफिसर द्वारा आयोग के काउंटिंग साॅफ्टवेयर पर भी लोड की जाएगी।
सख्त निर्देश: आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि अगले राउंड की गिनती तब-तक प्रारंभ नहीं होगी, जब तक पहले राउंड की मतगणना की गिनती समाप्त होकर उसका परिणाम डिस्प्ले बोर्ड पर प्रदर्शित न कर दिया जाए। कांग्रेस पार्टी ने हर राउंड के बाद उम्मीदवार को सर्टिफिकेट दिए जाने की मांग केंद्रीय निर्वाचन आयोग से की थी। इसके बाद आयोग ने मतगणना के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रिया स्पष्ट की है। मध्यप्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संदीप यादव का कहना है कि टेबुलेशन शीट पहले भी दी जाती थी। 
इसलिए बनी विवाद की स्थिति : अभी तक चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को मांगने पर ही रिटर्निंग आफिसर द्वारा राउंड वार टेबुलेशन शीट दी जाती थी। अधिकांशत: रिटर्निंग आफिसर राउंड वार उम्मीदवार को मिले वोटों की गिनती की माइक से घोषणा तो कर देते थे, लेकिन प्रत्याशी को उनके हस्ताक्षर की टेबुलेशन शीट नहीं देते थे। इससे उम्मीदवार मतगणना में गड़बड़ी होने के दौरान कोई शिकायत दर्ज कराता था तो उसके पास लिखित में कोई प्रमाण नहीं रहता था। इसी को लेकर राजनीतिक दल और चुनाव आयोग के बीच रस्साकसी चली आ रही थी, जिसे आयोग ने स्पष्ट किया है।

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