दिग्गी फिर डुबोयेंगे कांग्रेस की नैय्या ?
आशीष जैन ।
उज्जैन । पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह एक बार फिर से पार्टी की नैय्या डुबोने में लगे है, दिग्विजय सिंह उन सभी बागियों के टिकिटों के लिए अड़ गए है जिन्होंने 2008 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय लड़कर कांग्रेस प्रत्याशियों को हरवाया था ऐसे में अब पार्टी के वह सभी कर्मठ कार्यकर्ता एक हो गए है जो पिछले 15 वर्षों से लगातार हाशिये पर चल रही कांग्रेस का दामन पूरी ईमानदारी के साथ थामे हुए थे सभी ने एकमत होकर इन बागियों को भी सबक सिखाने का मन बना लिया है अगर पार्टी वापस इन बागियों पर हाथ रखती है तो फिर उसे अपने ही कर्मठ कार्यकर्ताओ का भारी विरोध और विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है जो कांग्रेस के लिए फिलहाल ठीक नही होगा। बतादे की वर्ष 2008 में दिग्गी समर्थित लगभग 73 उम्मीदवार रेल का इंजिन लेकर निर्दलीय चुनाव मैदान में।उतरे थे जिसके कारण कांग्रेस को 2008 में करारी शिकस्त झेलना पड़ी थी हार के बाद पार्टी ने भले ही इन बागियों को गले लगा लिया लेकिन जिन कार्यकर्ताओ की मेहनत पर इन्होंने पानी फेरा था वे अब तक हार को वो दंश भूल नही पाए है ।
तो क्या दिग्गी ने ही चलाया था इंजिन ?
दिग्विजय सिंह जिस तरह से 2008 के बागियों के समर्थन में खड़े हुए है इससे यह तय माना जा रहा है कि 2008 में कांग्रेस की हार का कारण बने निर्दलीय प्रत्याशी दिग्विजयसिंह के इशारों पर ही चुनाव मैदान में उतरे थे मतलब 15 सालों से सत्ता से विमुख रहने का कारण भी कहीं न कहीं दिग्विजय सिंह और उनके ये समर्थक ही है, दिग्विजय सिंह एक बार फिर से वही गलती दोहराने में जुटे है और एनकेन प्रकरण अपने इन बागियों को टिकिट दिलाने के लिए ताकत झोंक रहे है जो पार्टी के ईमानदार नेताओ को रास नही आ रहा है उनका मानना है कि अगर इसी तरह भितरघातियों और बागियों को उपकृत किया गया तो पार्टी में निष्ठावान लोग कम हो जाएंगे और ऐसे बागियों की संख्या अधिक । अगर इस बार भी दिग्विजय सिंह ने मन की की तो फिर दूसरे प्रत्याशी भी बागी हो सकते है । बतादे की दिग्विजय सिंह 2008 के निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र वशिष्ठ(उज्जैन), सुरेंद्र सिंह सिसोदिया(बड़नगर), जय सिंह दरबार(उज्जैन), कमलेश खंडेलवाल(इंदौर) संजय सिंह (बड़वानी) आदि सहित तमाम निर्दलीयों के टिकिट मांग रहे है ।
उज्जैन । पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह एक बार फिर से पार्टी की नैय्या डुबोने में लगे है, दिग्विजय सिंह उन सभी बागियों के टिकिटों के लिए अड़ गए है जिन्होंने 2008 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय लड़कर कांग्रेस प्रत्याशियों को हरवाया था ऐसे में अब पार्टी के वह सभी कर्मठ कार्यकर्ता एक हो गए है जो पिछले 15 वर्षों से लगातार हाशिये पर चल रही कांग्रेस का दामन पूरी ईमानदारी के साथ थामे हुए थे सभी ने एकमत होकर इन बागियों को भी सबक सिखाने का मन बना लिया है अगर पार्टी वापस इन बागियों पर हाथ रखती है तो फिर उसे अपने ही कर्मठ कार्यकर्ताओ का भारी विरोध और विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है जो कांग्रेस के लिए फिलहाल ठीक नही होगा। बतादे की वर्ष 2008 में दिग्गी समर्थित लगभग 73 उम्मीदवार रेल का इंजिन लेकर निर्दलीय चुनाव मैदान में।उतरे थे जिसके कारण कांग्रेस को 2008 में करारी शिकस्त झेलना पड़ी थी हार के बाद पार्टी ने भले ही इन बागियों को गले लगा लिया लेकिन जिन कार्यकर्ताओ की मेहनत पर इन्होंने पानी फेरा था वे अब तक हार को वो दंश भूल नही पाए है ।
तो क्या दिग्गी ने ही चलाया था इंजिन ?
दिग्विजय सिंह जिस तरह से 2008 के बागियों के समर्थन में खड़े हुए है इससे यह तय माना जा रहा है कि 2008 में कांग्रेस की हार का कारण बने निर्दलीय प्रत्याशी दिग्विजयसिंह के इशारों पर ही चुनाव मैदान में उतरे थे मतलब 15 सालों से सत्ता से विमुख रहने का कारण भी कहीं न कहीं दिग्विजय सिंह और उनके ये समर्थक ही है, दिग्विजय सिंह एक बार फिर से वही गलती दोहराने में जुटे है और एनकेन प्रकरण अपने इन बागियों को टिकिट दिलाने के लिए ताकत झोंक रहे है जो पार्टी के ईमानदार नेताओ को रास नही आ रहा है उनका मानना है कि अगर इसी तरह भितरघातियों और बागियों को उपकृत किया गया तो पार्टी में निष्ठावान लोग कम हो जाएंगे और ऐसे बागियों की संख्या अधिक । अगर इस बार भी दिग्विजय सिंह ने मन की की तो फिर दूसरे प्रत्याशी भी बागी हो सकते है । बतादे की दिग्विजय सिंह 2008 के निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र वशिष्ठ(उज्जैन), सुरेंद्र सिंह सिसोदिया(बड़नगर), जय सिंह दरबार(उज्जैन), कमलेश खंडेलवाल(इंदौर) संजय सिंह (बड़वानी) आदि सहित तमाम निर्दलीयों के टिकिट मांग रहे है ।