संवाददाता-विवेक चौबे

गढ़वा : एसीबी की टीम ने रिश्वतखोरों पर जमकर लगा रही है,अंकुश।बता दें कि कांडी प्रखण्ड के रानाडीह पंचायत में अशोक शर्मा नामक रोजगार सेवक कार्यरत था। एसीबी की टीम ने शुक्रवार को अहले सुबह सिचाई कालोनी से उक्त रिश्वतखोर रोजगार सेवक -अशोक शर्मा को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ धर दबोचा। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुक से उसपर 10 हजार रुपये नाजायज राशि का मांग करने का आरोप है। एसीबी की टीम ने उक्त रिश्वतखोर रोजगार सेवक को हिरासत में लेकर डाल्टेनगंज चली गई। जानकारी के अनुसार अशोक शर्मा ने भंडरिया गांव निवासी- ब्रजबिहारी चौधरी से आवास स्वीकृत कराने के नाम पर 10 हजार रुपये रिश्वत की मांग किया था। मामला 5 हजार रुपये में सेट हुआ था। लाभुक ने इसकी शिकायत निगरानी विभाग में किया। शिकायत के आलोक में एसीबी की टीम ने मामले की सत्यता की जांच कराई। जांचोपरांत निगरानी विभाग ने टीम गठित कर लाभुक को 5 हजार रुपये देकर उक्त रोजगार सेवक के मोहम्मदगंज स्थित आवास पर भेजा।जैसे ही रोजगार सेवक ने लाभुक से पैसा लिया की एसीबी की टीम ने उसे धर दबोचा। रोजगार सेवक पलामू जिले के मोहम्मदगंज में सिचाई कालोनी में किराए पर कमरा लेकर रहता था। निगरानी द्वारा पकड़े जाने की खबर से सरकारी कर्मियों में दहशत व्याप्त है।                                                                                                                               

झारखण्ड से भरत कुमार की रिपोर्ट:-                                                   

    झारखण्ड की माननीय मुख्यमंत्री श्री रघुवर दस ने फीता काटकर किया उद्घाटन ।

माननीय मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के विजय मांझी स्टेडियम में दीप प्रज्वलित कर  प्रधानमंत्री किसान सम्मान  निधि योजना का प्रथम और द्वितीय किस्त का किया उद्घाटन।                                                                                                                                                                                                                                                                         

झारखण्ड से भरत कुमार की रिपोर्ट:-                                                   
                                                                                                                                                                           रांची .... 
: एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने आज झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के बडे नेता और झारखंड के पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की को बड़े ही नाटकीय ढंग से रांची सिविल कोर्ट के सामने से गिरफ्तार कर लिया। बंधु तिर्की 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले के आरोपी हैं। वहीं गिरफ्तारी के दौरान पूर्व मंत्री बंधू तिर्की ने इस कार्रवाई को साजिश करार दिया
 
गिरफ़्तारी के दौरान पूर्व मंत्री बंधू तिर्की गिरफ्तार करने आए अधिकारियों पर काफी भड़के हुए नजर आए। वहीं उन्होंने जाते-जाते कहा- ‘यह सरकार की साजिश है। इस मामले का कोई साक्ष्य नहीं है। यहाँ तक की इनके पास गिरफ्तारी का वारेंट तक नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका जवाब जनता देगी

बता दें कि राष्ट्रीय खेल घोटाले में एसएम हासमी और पीसी मिश्रा के बाद यह तीसरी गिरफ्तारी है। इस मामले के एक अन्य आरोपी मधुकांत पाठक ने आत्मसमर्पण किया था। बताया जाता है कि 2007 के राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की जिम्मेदारी रांची को मिली थी। आठ-नौ बार तारीखों में बदलाव के बाद अंततः 12 से 26 फरवरी 2011 तक भव्य आयोजन हुआ।
 

2008 से 2013-14 तक विभिन्न टेंडरों में हेराफेरी, जरूरत से ज्यादा सामान की खरीद, एल-1 की बजाय दूसरों को ठेका देना, मनमर्जी नामांकन के आधार पर ठेका देना जैसी प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितता के कारण राज्य सरकार को लगभग 28 करोड रुपये की क्षति (पीएजी की रिपोर्ट व अन्य रिपोर्टों के अनुसार) हुई थी। जिसके बाद से इस घोटाले की जांच एसीबी बीते नौ वर्षों से कर रही है। इसके साथ ही टेंडर कमेटी के चार अन्य सदस्यों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। बताया जाता है कि बंधु तिर्की खेल घोटाला मामले में अप्राथमिकी अभियुक्त हैं

बंधु तिर्की पर धनबाद में भी दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप हैं। बताया जाता है कि स्क्वैश कोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की कंपनी जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को दी गयी थी। कंपनी ने 1 करोड़ 44 लाख 32 हजार 8 सौ 50 रुपये का एस्टीमेट दिया था। आयोजन समिति के महासचिव एसएम हाशमी और तत्कालीन खेल निदेशक तथा सचिव की अनुशंसा के बाद इस प्रस्ताव की फाइल तत्कालीन विभागीय मंत्री (खेल मंत्री) बंधु तिर्की के पास भेजी गई थी।
बताया जा रहा है कि इस मामले पर अब एकबार फिर झारखंड की राजनीति तेज होने की प्रबल संभावना है। सरकार द्वारा एसीबी को जांच की हरी झंडी मिलने के बाद एसीबी ने आज उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया है।

भोपाल से गजेंद्र सिंह चंद्रावत की रिपोर्ट। .....                               
                                                                                                                                                                                          भोपाल।प्रदेश कैबिनेट से मंजूरी के छह महीने बाद आखिरकार नई रेत खनन नीति लागू हो गई है। खनिज विभाग ने नई नीति की अधिसूचना जारी कर दी है। जिसके तहत ग्रामीण खुद के भवन के निर्माण के लिए आसपास की किसी भी खदान से रेत खदान का उठाव कर सकेंगे। रेत लेने से ग्रामीणों को न तो ठेकेदार रोक पाएगा और न ही पुलिस-प्रशासन का कोई नुमाइंदा रोकेगा। रेत उठाने के लिए संबंधित ग्राम पंचायत को तत्काल अनुमति देनी होगी। अब रेत खदानों से रेत का परिवहन जीपीएस लगे वाहनों से ही हो सकेगा। 
प्रदेश में रेत नीति लागू हो गई है। नई नीति के तहत ग्रामीण एक साल में 10 घन मीटर तक रेत ही मुफ्त में उठा सकेंगे। जबकि कुम्हार, किसान कुआ एवं घर बनाने के लिए मुफ्त में रेत ले सकेंगे। नीति में अवैध उत्खनन रोकने एवं नदियों के संरक्षण का भी ध्यान रखा गया है। नर्मदा नदी से मशीनों से रेत का खनन पूर्णत: बंद कर दिया है। जबकि अन्य नदियों में मशीनों से खनन सिर्फ प्रशासनिक अनुमति से ही हो सकेगा। 5 हेक्टेयर की खदानों रेत का खनन श्रमिक समितियों से होगा। 5 हेक्टेयर से बड़ी खदानों में खनन के लिए स्थानीय मजूदरों को प्राथमिकता दी जाएगी। 
पुल से 200 मीटर दूरी पर होगा खनन
नई नीति के तहत नदी पर बने पुल से 200 मीटर के बाहर रेत का खनन हो सकेगा। बांध के पास भी रेत उत्खनन नहीं हो सकेगा। साथ ही हाईवे एवं रेल लाइन से 100 मीटर के बाहर, ऐतिहासिक इमारत एवं पुरातात्विक स्थानों से 200 मीटर बाहर ही रेत का उत्खनन हो सकेगा। 
30 दिन में हटाना पड़ेगा भंडारण
नई खनित नीति के तहत रेत का भंडारण करने वालों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है। अब रेत कारोबारी 1 लाख घन मीटर रेत का भंडारण मान्यता प्राप्त स्थान पर ही कर सकेंगे। जिसका निपटारा 30 दिन के भीतर ही करना होगा। यदि समय पर रेत का निपटारा नहीं होता है तेा फिर जिला प्रशासन रेत को राजसात कर सकेगा। 
एक भी भंडारण पर नहीं की कार्रवाई
खनिज विभाग रेत माफिया पर किस तरह से हावी है, इसका अंदाजा नर्मदा किनारे के जिले, गांवों में लगे रेत के ढेर देखकर लगाया जा सकता है। कमलनाथ कैबिनेट ने छह महीने पहले रेत नीति को मंजूरी दे दी थी। जिसमें भंडारण क्षमता बढ़ाकर 1 लाख घनमीटर करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन नीति की अधिसूचना जारी नहीं की गई। रेत कारोबारियों ने 1 लाख से ज्यादा मात्रा में रेत का भंडारण कर लिया। अब जब बारिश जाने की तैयारी में तब सरकार ने रेत नीति की अधिसूचना जारी की है। इस अवधि में रेत कारोबारियों ने रेत का भंडारण कर बड़ा मुनाफा कमाया है

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